धातु किसे कहते हैं? धातु के भेद और परिभाषा उदाहरण सहित

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दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि धातु किसे कहते हैं। इसके साथ ही साथ आज हम आपको बताने जा रहे हैं, की धातु क्या है, धातु के भेद और उदाहरण। तो आप हमारा आज का यह आर्टिकल ध्यान से पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं – 

धातु क्या है

हिंदी विषय में धातु क्रिया के मूल रूप को कहा जाता है। सरल शब्दों में समझे तो , क्रियापद के इस अंश को धातु कहते हैं जो, किसी क्रिया के प्रायः सभी रूपों में पाया जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जिन मूल अक्षरों से क्रियाएं बनती है उन्हें धातु कहा जाता है। 

उदाहरण

पढ़, चढ़, रख, कर आदि।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ” पढ़ना ” एक क्रिया है। इसमें प्रत्यय के रूप में ना प्रस्तुत है। जो कि मूल धातु पढ़ के पीछे लगा है। 

इसी प्रकार से ” चढ़ना ” क्रिया ” चढ़ ” धातु और ” ना ” के प्रत्यय से बनी है। 

सामान्य क्रिया –

क्रिया के मूल रूप को धातु कहा जाता है और धातु में ना जोड़ देने से क्रिया का सामान्य रूप प्रकट होता है। 

जैसे कि –

पढ़ना पढ़ना

चढ़ना चढ़ना

रखना रखना

करना करना

खाना खाना

देखना देखना

धातु के भेद

शब्द निर्माण की दृष्टि से देखा जाए तो धातु के कुल पांच भेद होते हैं। यह भेद होते हैं –

  • मूल धातु
  • योगिक धातु
  • नाम धातु
  • मिश्र धातु
  • अनुकरणआत्मक धातु

आइए हम इन सभी धातुओं के बारे में विस्तार से जानते हैं –

मूलधातु

जो धातु स्वतंत्र होती है उसे मूल धातु कहा जाता है। मूल धातु के उदाहरण है जैसे पढ़, चरण, रख, कर, खा, देख, आदि। 

योगिकधातु

योगिक धातु किसी प्रत्यय और मूल धातु के सहयोग से बनती है। इसमें दोनों का योग हो जाता है। जैसे कि खा से खाना और ‘ पढ़ ‘ से ‘ पढ़ना ‘ या ‘ देख ‘ से देखना। हिंदी भाषा में इस प्रकार की धातुएं अनंत है। हिंदी भाषा में योगिक धातु की बहुत सारी धातु है जो कि एक अक्षर ही हैं दो अक्षर ही हैं तीन अक्षरी हैं और कुछ-कुछ धातु है तो चार अक्षरी भी हैं। 

योगिक धातु की रचना किस प्रकार से होती है – 

योगिक धातु की रचना तीन प्रकार से हो सकती है अर्थात योगिक धातु तीन प्रकार से बनाई जा सकती है। यह है – 

धातु में एक प्रत्यय को जोड़ देने से अकर्मक सकर्मक और प्रेरणार्थक धातुएं बनाई जा सकती हैं। 

संज्ञा है या विशेषण से नामधातु  बनाए जा सकते हैं। 

नामधातु

वह धातु जो संज्ञा या विशेषण से बनाई जाती हैं उन्हें नामधातु कहा जाता है। इसके उदाहरण हो सकते हैं- 

” हाथ ” शब्द एक संज्ञा है और इससे ” हथियाना ” शब्द बनाया जा सकता है जो कि एक धातु है। 

इसी प्रकार से ” बात ” शब्द एक संज्ञा है और इस से बनाया हुआ शब्द ” बतियाना ” एक धातु का ही रूप है।

वहीं दूसरी ओर, ” चिकना ” शब्द एक विशेषण है और इस शब्द से बना हुआ ” चिकनाना ” शब्द एक धातु है। 

” गरम ” शब्द विशेषण है और इस से बना हुआ ” गरमाना ” शब्द एक धातु है। 

मिश्रधातु

कभी-कभी संज्ञा,  विशेषण और क्रिया विशेषण के शब्दों के बाद ” करना ” या ” होना ” का इस्तेमाल किया जाता है। इन क्रिया पदों के प्रयोग से नई धातु उत्पन्न होती है। उन्हें मिश्र धातु कहा जाता है। 

उदाहरण

” होना या करना ” का उदाहरण हो सकता है काम करना और काम होना। 

” देना ” का उदाहरण हो सकता है खाना देना उधारी देना। 

” मारना ” का उदाहरण हो सकता है डींग मारना और गोते मारना। 

” लेना ” का उदाहरण हो सकता है खा लेना और काम लेना।

” जाना ” से उदाहरण हो सकता है चले जाना , सो जाना।

” आना ” से उदाहरण हो सकता है किसी की याद आना , आंसू आना। 

अनुकरणआत्मकधातु 

यह धातु है किसी ध्वनि के अनुकरण पर बनाई जाती हैं। इस कारण से इन्हें अनुकरण आत्मक धातु कहते हैं। इसके उदाहरण होते हैं – जैसे पटकना , खटकना,  टनटनाना, इत्यादि जैसी धातु है अनुकरण आत्मक धातु के अंतर्गत आती हैं। 

अन्तिमशब्द

तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने आपको धातु क्या हैं इस बात की पूर्ण जानकारी दी। हमने इस आर्टिकल में आपको धातु के प्रकार व उसके उदाहरण भी बताएं। उम्मीद करते हैं कि अब आप धातुओं के बारे में अच्छी तरह से जान गए होंगे। आशा करते हैं कि आपको आज का यह आर्टिकल पसंद आया होगा।

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