काल किसे कहते है?
क्रिया के जिस रूप से हमें कार्य को करने या होने के समय का ज्ञान होता है। उसे काल कहते हैं। अगर हम उदाहरण के द्वारा इसे समझें तो यह हमारे लिए ज्यादा आसान हो जाएगा। जैसे: बच्चे पढ़ रहे हैं, बच्चे पढ़ रहे थे, बच्चे पढ़ेंगे। इन वाक्यों की क्रियाओं से हमें कार्य के होने का समय का पता चलता है।अब काल की परिभाषा के बाद हम काल के भेदों के बारे में भी जान लेते हैं,
काल के भेद | Kaal Ke Bhed
1 वर्तमान काल
2 भूतकाल
3 भविष्यत काल
आइए अब हम काल के पहले भेद यानी वर्तमान काल के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
वर्तमान काल- क्रिया के जिस रूप से हमें यह पता चलता है कि काम भी हो रहा है उसे वर्तमान काल कहते हैं। या फिर यह कहे कि जिन वाक्यों के अंत में ता, ती, ते, है आते हो वह वर्तमान काल कहलाते हैं।
वर्तमान काल के निम्न छह भेद होते हैं:-
- सामान्य वर्तमान काल – जिस क्रिया से हमें क्रिया के सामान्य रूप का वर्तमान में होने का पता चलता है। उसे हम सामान्य वर्तमान काल कहते हैं। उदाहरण के लिए सीता पढ़ती है, राम खेलता है, मोहन खाता है।
- अपूर्ण वर्तमान काल – क्रिया के जिस रूप से हमें कार्य के लगातार होने का पता चलता है उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते हैं। उदाहरण: वह घर जा रहा है, राम खेल रहा है, मां खाना बना रही है, मैना कपड़े धो रही है।
- पूर्ण वर्तमान काल – क्रिया के जिस रूप से कार्य के अभी पूरा होने का हमें पता चलता है उसे पूर्ण वर्तमान काल कहते हैं। उदाहरण: मैंने कपड़े धोए हैं, मैंने खाना बनाया है, मैंने इस्त्री की है।
- संदिग्ध वर्तमान काल – क्रिया के जिस रुप से वर्तमान काल क्रिया के होने या करने पर शक हो उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते हैं। उदाहरण: वह पढ़ता होगा, स्वाधा खेलती होगी, मां सोती होगी।
- तात्कालिक वर्तमान काल – क्रिया के जिस रूप से हमें यह पता चलता है कि कार्य वर्तमान में हो रहा है उसे तात्कालिक वर्तमान काल कहते हैं। उदाहरण: मैं रोटी बना रही हूं, राम टीवी पर मैच देख रहा है, रेनू पढ़ाई कर रही है।
- संभाव्य वर्तमान काल – संभाव्य का अर्थ होता है संभावना था जिसके पूरा होने की आशा हो। उसे वर्तमान काल में काम के पूरा होने की संभावना होती है उसे संभाव्य वर्तमान काल कहते हैं।
उदाहरण: उसने पढ़ाई की हो, माला घर पहुंच गई हो।
अब हम काल के दूसरे भेद यानी भूतकाल के बारे में विस्तार रूप से जान लेते हैं।
भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से हमें यह पता चलता है कि काम बीते हुए समय में पूरा हो चुका है अर्थात क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का पता चले उसे भूतकाल कहते हैं। इसकी पहचान वाक्यों के अंत में था, थी, थे से हो सकती है।
भूतकाल के भी छह उपभेद होते हैं:-
- सामान्य भूतकाल – क्रिया के जिस रूप से भूतकाल में क्रिया के सामान्य रूप से बीते समय में पूरा होने का संकेत मिले उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं।
उदाहरण: वह शहर गया, मैंने खाना खाया, मोहन स्कूल गया, मम्मी सो गई।
- आसन्न भूतकाल – क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि कार्य अभी अभी पूर्ण हुआ है उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।
उदाहरण: मैंने खाना खाया है, उसने गाना गाया है, मैं अभी पढ़ कर वापस आया हूं।
- पूर्ण भूतकाल – क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि काम बहुत पहले पूरा हो चुका था उसे हम पूर्ण भूतकाल कहते हैं।
उदाहरण: वह गया था, दीपक घूमने गया था।
- अपूर्ण भूतकाल – क्रिया के जिस रुप से क्रिया का भूतकाल में होना पाया जाए लेकिन यह पता नहीं चले कि वह पूर्ण हुआ है या नहीं उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं।
उदाहरण: बच्चे खेल रहे थे, विद्यार्थी पढ़ रहे थे, दादा जी सो गए थे।
- संदिग्ध भूतकाल – जिस क्रिया के करने या होने में संदेह रहता हो उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं।
उदाहरण: मां बाजार चली गई होगी, राम स्कूल चला गया होगा, मीना ने काम कर लिया होगा, उसने सफाई कर ली होगी।
- हेतु-हेतुमद भूतकाल – क्रिया के जिस रुप से कार्य के भूतकाल में होने या किए जाने की शर्त पाई जाए उसे हेतु-हेतुमद भूतकाल कहते हैं।
जैसे: यदि वर्षा होती तो फसल अच्छी होती, यदि स्कूल खुले होते तो बच्चों के अच्छे नंबर आते, यदि उसने पैसे बचाएं होते तो आज काम आते।
अब हम आपको काल के तीसरे भेद यानी की भविष्यत काल के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
भविष्यत काल- क्रिया के जिस रूप से हमें किसी काम के आने वाले समय में किये जाने या होने का बोध होता है उसे भविष्यत काल कहा जाता है।
उदाहरण के रूप में जिन वाक्यों के अंत में गा, गे, गी प्रत्यय आते हो उन्हें वाक्यों में भविष्यत काल प्रयुक्त होता है।
भविष्यत काल के निम्न तीन भेद होते हैं:-
- सामान्य भविष्यत काल – क्रिया के जिस रूप से काम का सामान्य रूप से भविष्य में किया जाना या होना पाया जाए उन्हें सामान्य भविष्य काल कहते हैं।
उदाहरण: मैं आज रात पढ़ाई करूंगी, मैं आज रात मूवी देखूंगी, श्याम आज मेला जाएगा।
- संभाव्य भविष्यत काल – क्रिया के जिस रूप पर काम में भविष्य में होने या किए जाने की संभावना बनी रहती है उसे हम संभाव्य भविष्य काल कहते हैं।
उदाहरण: शायद आज रात वर्षा हो, शायद कल कम गर्मी हो, शायद इस बार फसल अच्छी हो।
- हेतु मध्य विषय भविष्यत काल – क्रिया के जिस रूप से एक कार्य को पूरा होने की अवधि दूसरे आने वाले समय के क्रिया पर निर्भर हो उसे हम हेतु हेतु मध्य विषय भविष्य काल कहते हैं
उदाहरण: वह पढ़ेगा तो सफल होगा, फसल अच्छी होगी तो मुनाफा होगा, आज कि मेहनत कल काम आएगी।
अंतिम विचार
हमने आपको अपनी तरफ से काल के ऊपर मौजूद संक्षिप्त जानकारी देने का पूर्ण प्रयास किया है। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो कृपया इसे आगे जरुर शेयर करें हमें बहुत ही प्रसन्नता होगी और अगर आपको कहीं भी कोई भी कमी नजर आ रही हो तो कृपया कमेंट बॉक्स में अपने बहुमूल्य विचार कमेंट करके बताएं।