कारक हिंदी व्याकरण का प्रमुख अंग है, इसे संज्ञा (पद परिचय) के अंतर्गत पढ़ा जा सकता है। कारक से संबंधित प्रश्न परीक्षाओं में आते रहते हैं, इसलिए आज हम जानेंगे की “कारक किसे कहते हैं इसके कितने भेद हैं”?
कारक की परिभाषा- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उसके संबंध का बोध होता है, उसे हम कारक कहते हैं। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है की वाक्यांश के शब्दों में संबंध स्थापित करने वाले चिन्ह को कारक चिन्ह कहा जाता है। जैसे-सीता ने पूरी खाई। इस वाक्य में सीता और पूरी के बीच ‘ने’ संबंध स्थापित कर रहा है,अत: यहां ‘ने’ कारक चिह्न है। आइए कुछ और उदाहरणों द्वारा समझने का प्रयास करें।
सुरेश कार से जा रहा था।
आधी रात को कुत्ते भौंक रहे थे।
विजय को घूमने जाना है।
रीना के द्वारा मुझे यह बात पता चली।
श्याम ने कुत्ते को डंडा मारा।
ट्रेन कानपुर पहुंच चुकी है।
तुमने यह कहा था।
प्रतीक ने सफाई की।
सुनीता ने खाना खा लिया।
रोहन ने पत्र लिखा।
कारक के भेद- कारक की परिभाषा जानने के बाद अब हम कारक के भेद के बारे में जानेंगे। कारक के आठ भेद होते हैं:-
1 कर्ता कारक(ने)
2 कर्म कारक(को)
3 करण कारक(से,के दृारा)
4 संप्रदान कारक( के लिए,को)
5 अपादान कारक(से)
6 संबंध कारक( का,के,की,रा,रे,री)
7 अधिकरण कारक(मे,पर)
8 संबोधन कारक(हे!,अरे!)
कर्ता कारक- जहां पर कर्ता प्रधान होता है, वहां पर कर्ता कारक होता है। उदाहरण के लिए:-
राम जाता है।
महेश हंसता है।
मैं जूस पीती हूं।
विक्की ने गिल्ली डंडा खेला।
मोहन पढ़ाई करता है।
लड़की स्कूल जाती है।
उसे कुछ गहने खरीदने थे।
उन्होंने एक शेर देखा।
राहुल ने छींका।
कर्म कारक- क्रिया को प्रभावित करने वाले शब्द में कर्म कारक होता है। उदाहरण के लिए:-
रामू ने घोड़े को पानी पिलाया।
मेरे दोस्त ने कुत्तों को भगाया।
सीता ने गीता को बुलाया।
बड़े लोगों को सम्मान देना चाहिये।
मां ने बालक को समझाया।
राम ने रावण को मारा।
गोपाल ने राधा को बुलाया।
मां ने बच्चों को खाना खिलाया
अध्यापक ने छात्रों की पिटाई की।
करण कारक- संज्ञा आदि शब्दों के जिस रुप से क्रिया के करने के साधन का बोध हो या दूसरे शब्दों में कहें तो जिसकी सहायता से कार्य संपन्न हो, वह करण कारक कहलाता है। उदाहरण के लिए:-
जयद्रथ को अर्जुन ने बाण से मारा।
सुनील गेंद से खेल रहा है।
वह कलम से पत्र लिखता है।
मैं मोटरसाइकिल से आता हूं।
बच्चा भूख से बेचैन था।
मोहन ने उसके हाथ पत्र भेजा।
मुझसे यह काम ना होगा।
आप वस्त्रों से अध्यापक प्रतीत होते हैं।
राम के साथ सीता वन को गई।
संप्रदान कारक- इस कारक का अर्थ ‘देना’ होता है। वाक्य मे किसी को कुछ देने या लेने के अर्थ में संप्रदान कारक होता है। उदाहरण के लिए:-
मेरे लिए खाना लेकर आओ।
वह मेरे लिए चाय बना रहा है।
साहिल ब्राह्मण को दान देता है।
मैं घूमने के लिए जा रहा हूं।
मुझे पुस्तक को पढ़ना है।
नीता ने सीमा को कुछ खिलौने दिए।
बच्चा दूध के लिए रो रहा है।
सुरेश गुरु को फल दो।
भिखारी को भिक्षा दे दो।
अध्यापक बालक पर क्रोध करते हैं।
अपादान कारक- वाक्य में जिस स्थान या वस्तु से किसी व्यक्ति या वस्तु की पृथकता अथवा तुलना का बोध होता है वहां अपादान कारक होता है। दूसरे शब्दों में समझें अपादान कारक से जुदाई का भी बोध होता है प्रेम, घृणा, ईर्ष्या और सीखने आदि भावों की अभिव्यक्ति के लिए अपादान कारक का ही प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए:-
वह अभी तक मऊ से नहीं लौटा है।
पतझड़ में पीपल के पेड़ों से पत्ते झड़ने लगते हैं।
मेरा घर शहर से दूर है।
मैं आज से पढ़ने जाऊंगा।
सीमा को गंदगी से बहुत घृणा है।
वह कलम से लिखता है।
उसके हाथ से पुस्तक गिर गई।
पेड़ से आम नीचे गिर गया।
उसके हाथ से घड़ी गिर गई।
सुरेश छत से गिर गया।
संबंध कारक- वाक्य में जिस पद से किसी वस्तु व्यक्ति या पदार्थ का दूसरे व्यक्ति वस्तु या पदार्थ से संबंध प्रकट होता है उसे हम संबंध कारक कहते हैं। उदाहरण के लिए:-
अदिति का भाई आदित्य है।
वह राधेश्याम का बेटा है।
सेना के जवान आ रहे हैं।
यह रमेश की साइकिल है।
यह विनीत का घर है।
राजा दशरथ के चार बेटे थे।
रमेश सुरेश का भाई है।
सीतापुर मोहन का गांव है।
यह गाड़ी हरीश की है।
अधिकरण कारक- अधिकरण का अर्थ होता है ‘आधार’। शब्द के जिस रुप से हमें क्रिया के आधार का बोध होता है उसे अधिकरण कारक कहते हैं। उदाहरण के लिए:-
मेज पर पानी का ग्लास रखा है।
सीता पलंग पर सो रही है।
पेड़ पर बंदर बैठा है।
बच्चे कक्षा में पढ़ रहे हैं।
हमें किसी के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए।
मेरी भतीजी में बहुत सारे गुण हैं।
नेहा कुर्सी पर बैठी हुई है।
जून में बहुत गरमी पड़ती है।
महल में दीपक जल रहा है।
संबोधन कारक- संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जिससे किसी को बुलाने बोलने या पुकारने का बोध होता है, तो वह कारक संबोधन कारक कहलाता है। उदाहरण के लिए:-
हे ईश्वर! मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है।
हे अर्जुन! तुम्हें यह काम अवश्य करना चाहिए।
अरे रमेश! तुम यहां कैसे?
अजी! सुनते हो क्या।
अरे भैया! क्यों रो रहे हो।
ओ राधा! जरा इधर तो आना।
हे प्रभु! इनकी रक्षा करना।
बच्चों! घर जाओ?
हे राम! अब क्या होगा।
अंतिमविचार
आज हमने आपको कारक और उसके भेदों के बारे में यथासंभव जानकारी देने का अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया है अगर आपको पसंद आए तो कृपया इसे शेयर लाइक और कमेंट करना ना भूलें, धन्यवाद।