दोस्तों आज का यह आर्टिकल काफी मजेदार और महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम, पद किसे कहते हैं इस बारे में बताने जा रहे हैं। तो हमारे आगे के आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
दोस्तों हिंदी व्याकरण में पद परिचय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। हिंदी भाषा को शुद्ध रूप से लिखने के लिए इसकी व्याकरण में अनेक नियम दिए गए हैं। पद परिचय इन में से एक है। यह हिंदी भाषा को शुद्ध रूप से लिखने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। पद परिचय को समझ कर कोई भी व्यक्ति हिंदी भाषा का इस्तेमाल आसानी से कर सकता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको पद परिचय के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देने जा रहे हैं। साथ ही साथ आज के इस आर्टिकल में हम आपको पद परिचय के भेद व प्रकार के बारे में भी बताने जा रहे हैं वह भी उदाहरण के साथ। तो अगर आप भी पद परिचय के बारे में पूर्ण जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आगे पढ़ना जारी रखें –
पद किसे कहते हैं? (pad kise kahate hain –pad parichay in hindi)
दोस्तों पद परिचय के बारे में जाने से पहले सबसे महत्वपूर्ण है कि हम यह जान ले कि पद किसे कहते हैं।
जब भी कभी किसी शब्द का प्रयोग वाक्य में किया जाता है तो वह पद बन जाता है। पद के माध्यम से ही वाक्य के अन्य शब्दों के काल, लिंग, वचन, कारक इत्यादि व्याकरण के नियमों के अनुसार प्रयोग किया जाता हैं। और इसीलिए वाक्य में प्रयोग हो जाने के बाद शब्द पद कहलाता है।
सरल शब्दों में समझे तो वाक्य में प्रयोग होने वाला हर शब्द ही पद होता है।
जैसे व्यक्ति का कुछ ना कुछ परिचय होता है , नाम होता है , उसी प्रकार से पदों का भी परिचय होता है। जैसे प्रत्येक व्यक्ति का नाम, पिता का नाम, माता का नाम, जाति, पता व्यक्ति का परिचय होता हैं. उसी प्रकार किसी वाक्य में प्रयोग होने वाले प्रत्येक शब्द का हिंदी व्याकरण के अनुसार परिचय जैसे संज्ञा, सर्वनाम, लिंग, वचन, क्रिया, कारक इत्यादि होता हैं। इसी को पद परिचय कहा जाता है। पद परिचय को अन्य नाम या पर्यायवाची शब्द ‘पदनिर्देश’, ‘पदच्छेद’, और ‘पदविन्यास’ के नाम से भी जाना जाता है।
पद परिचय के उदाहरण
वाक्य –
सीता ने गीता को किताब दी।
ऊपर दिखाए गए वाक्य में कुल 6 पदों का इस्तेमाल किया गया है। इन्हीं 6 पदों का इस्तेमाल करके हिंदी का एक शुद्ध वाक्य बनाया गया है। इन सभी पदों को हिंदी व्याकरण के नियम के अनुसार वाक्य में रखा गया है। इसका पद परिचय कुछ इस प्रकार होगा –
पद परिचय –
सीता : संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, ‘ने’के साथ कर्ता कारक, द्विकर्मक क्रिया ‘दी’के साथ।
गीता : संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।
किताब : संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मकारक।
पद परिचय कितने प्रकार के होते हैं – पद परिचय कितने भेद के होते हैं?
पद परिचय के कुल आठ भेद या प्रकार होते हैं। यह आठ प्रकार निम्नलिखित हैं:
संज्ञा पद परिचय
सर्वनाम पद परिचय
विशेषण पद परिचय
अव्यय पद परिचय
क्रियाविशेषण पद परिचय
क्रिया पद परिचय
संबंधबोधक पद परिचय
समुच्चयबोधक पद परिचय
आइए हम इन सभी के बारे में संक्षेप में जानते हैं –
संज्ञा का पद परिचय
वाक्य में संज्ञा पदों का परिचय करते वक्त पद की संज्ञा का भेद, लिंग, वचन, कारक तथा वाक्य में उपस्थित क्रिया और अन्य शब्दों के साथ उसके सम्बन्ध इत्यादि बताना होता है।
उदाहरण –
लंका में राम ने बाणों से रावण को मारा।
इस वाक्य में ‘लंका’, ‘राम’, ‘वाणों’, और ‘रावण’ चार संज्ञा पद हैं। इनका पद परिचय कुछ इस प्रकार से है।
लंका : संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्त्ता कारक, ‘मारा’ क्रिया का आधार।
राम : संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्त्ता कारक, ‘मारा’ क्रिया का कर्त्ता।
बाणों : संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, बहुवचन, करण कारक, ‘मारा’ क्रिया का कर्म।
रावण : संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक, ‘मारा’ क्रिया का कर्म।
सर्वनाम का पद परिचय
वाक्य में सर्वनाम पदों का परिचय करते समय सर्वनाम पद का सर्वनाम का भेद, लिंग, वचन, कारक तथा वाक्य में उपस्थित क्रिया और अन्य शब्दों के साथ उसके सम्बन्ध का पता लगाया जाता है।
उदाहरण –
सचिन और हम मैच देखने गए।
इस वाक्य में हम शब्द सर्वनाम हैं। जिसकी व्याख्या निम्न-अनुसार हैं।
हम – पुरूषवाचक सर्वनाम,उत्तम पुरूष,पुल्लिंग,बहुवचन, कर्ता कारक ‘देखने गए’ क्रिया का कर्ता।
विशेषण का पद परिचय
वाक्य में विशेषण शब्दों का पद परिचय करते वक्त विशेषण पद का विशेषण के भेद, लिंग, वचन, और विशेष्य का अध्धयन करना होता है।
उदाहरण –
मुकेश बहुत बहादुर लड़का है।
इस वाक्य में बहुत और बहादुर दो विशेषण शब्द हैं।
बहुत : प्रविशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक, ‘बहादुर’ का विशेषण।
बहादुर : गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, कर्मकारक, ‘लड़का’ का विशेषण।
विस्मयादिबोधक अव्यय का पद परिचय
वाक्य में अव्यय पदों का पद परिचय करते समय इनका भेद और उनके सम्बंधित शब्दों का अध्धयन किया जाता हैं।
उदाहरण –
वाह ! क्या नज़ारा हैं।
इस वाक्य में ‘वाह’ शब्द विस्मयादिबोधक अव्यय शब्द हैं।
वाह ! : विस्मयादिबोधक, आनन्द प्रकट करता है।
क्रियाविशेषण का पद परिचय
किसी वाक्य में क्रिया विशेषण पदों का परिचय करते समय केवल दो ही बातों का ध्यान रखना होता है। इसमें क्रियाविशेषण का प्रकार और उस क्रिया पद की व्याख्या करनी होती हैं जिसके लिए क्रिया विशेषण शब्द का उपयोग किया गया हैं।
उदाहरण –
बहुत जल्दी है तुम्हें।
इस वाक्य में ‘बहुत’ और ‘जल्दी’ क्रिया-विशेषण पद हैं। इनका पद परिचय इस प्रकार से होगा।
बहुत : परिमाणवाचक क्रियाविशेषण और जल्द का गुणबोधक है।
जल्दी : समयवाचक क्रियाविशेषण और क्रिया का काल बतलाता है।
क्रिया का पद परिचय
वाक्य में क्रिया पदों का पद परिचय करते वक्त इसमें क्रिया का प्रकार, लिंग, वचन, पुरुष और क्रिया पद से सम्बंधित शब्दों की व्याख्या करनी होती हैं।
उदाहरण –
माया बहुत सुंदर लिखती है।
लिखती हैं – सकर्मकक्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘लिख’ धातु, वर्तमानकाल।
संबंधबोधक का पद परिचय
वाक्य में संबंधबोधक पदों का पद परिचय करते समय संबंधबोधक का भेद या प्रकार और संबंधबोधक पद से सम्बंधित शब्दों की व्याख्या करनी होती हैं।
उदाहरण –
डब्बे के भीतर बहुत सारे लड्डू रखे हैं।
ऊपर दीए गए वाक्य में ‘भीतर’ संबंध बोधक पद है। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा :
भीतर : संबंध वाचक अव्यय, इसका संबंध अलमारी’ से है।
समुच्चयबोधक का पद परिचय
वाक्य में समुच्चयबोधक शब्द का पद परिचय करते समय हमें संबंधबोधक का भेद या प्रकार और समुच्चयबोधक पद से सम्बंधित योजित शब्दों की जानकारी देनी होती है।
उदाहरण –
प्रश्न क्रमांक एक अथवा प्रश्न क्रमांक 2 करना अनिवार्य है।
इस वाक्य में ‘अथवा’ समुच्चय बोधक शब्द है। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा :
अथवा: विभाजक समुच्चय बोधक अव्यय मुंबई और बैंगलोर का विभाजक संबंध।
निष्कर्ष
तो दोस्तों यह था आज का आर्टिकल जिसमें हमने आपको पद परिचय कहते है तथा इसके कितने भेद होते हैं इसके बारे में पूर्ण जानकारी दी। हमें उम्मीद है कि आप हमारे द्वारा दिए गए उदाहरण से सहमत होंगे और आर्टिकल में बताई गई सभी बातें आपको अच्छी तरह से समझ में आ गई होंगी। आशा करते हैं कि आपको हमारा आज का यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा। धन्यवाद।