समास का शाब्दिक अर्थ संक्षेप होता है। समास प्रक्रिया में शब्दों का संक्षिप्तीकरण किया जाता है। हिंदी व्याकरण में समास का शाब्दिक अर्थ छोटा रूप भी होता है।
समास की परिभाषा- जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है। उस शब्द को हिंदी में समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो समास वह क्रिया है, जिसके द्वारा हिंदी में कम से कम शब्दों से अधिक से अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है।
समास के उदाहरण-
घोड़े पर सवार: घुड़सवार
राजा का पुत्र: राजपूत्र
देश का भक्त: देशभक्त
मूर्ति को बनाने वाला: मूर्तिकार
रसोई के लिए घर: रसोई घर
कमल के समान चरण: चरण कमल यथा मती: मती के अनुसार
नीला है जो कंठ: नीलकंठ
चार राहों का समूह: चौराहा
लंबा है उदर जिसका :लंबोदर
मृत्यु को जीतने वाला: मृत्युंजय
समासकेकितनेभेदहोतेहै?
समास के भेद:-
समास के छह भेद होते हैं।
पहला- अव्ययीभाव समास
दूसरा- तत्पुरुष समास
तीसरा- कर्मधारय समास
चौथा- द्विगु समास
पांचवा- द्वन्द समास
छठा- बहुव्रीहि समास
आइए अब हम इन सारे भेदों की परिभाषा उदाहरण सहित जान लेते हैं।
अव्ययीभाव समास- जिसमें प्रथम पद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। यह दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयोग हो वहां पर अव्ययीभाव समास होता है।
उदाहरण के लिए:-
यथा शक्ति = शक्ति के अनुसार
यथा क्रम= क्रम के अनुसार
प्रतिदिन= प्रत्येक दिन
यथा नियम= नियम के अनुसार प्रतिवर्ष= हर वर्ष
घर-घर= प्रत्येक घर,
रातों-रात= रात ही रात में
यथा साध्य= जितना साधा जा सके यथा काम= इच्छा अनुसार
आजन्म= जन्म से लेकर
आमरण= मृत्यु तक
तत्पुरुष समास- इस समास में दूसरा पद प्रधान होता है। यह कारक से जुड़ा समास होता है। इसे बनाने में दो पदों के बीच कारक चिन्हों का लोप हो जाता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
उदाहरण के लिए:-
राह के लिए खर्च= राह खर्च
तुलसी द्वारा कृत=तुलसीदास कृत राजा का महल= राज महल
राजा का पुत्र= राजपूत्र
देश के लिए भक्ति= देश भक्ति
कर्मधारय समास- इस समास का उत्तरपद प्रधान होता है। इस समास में विशेषण -विशेष्य और उपमेय -उपनाम से मिलकर बनते हैं उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
कर्मधारय समास के उदाहरण:-
महादेव= महान है जो देव
पीतांबर= पीत है जो अंबर
चंद्र मुख= चंद्र जैसा मुख
लालमणि= लाल है जो मणि
महात्मा= महान है जो आत्मा
नवयुवक= नव है जो युवक
चरण कमल= कमल के समान चरण
द्विगु समास- वह समास जिसका पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है तथा समस्त पद किसी समूह या फिर किसी समाहार का बोध कराता है तो वह द्विगु समास कहलाता है।
उदाहरण के लिए:-
त्रिकोण= तीन कोणों का समूह
शताब्दी= सौ सालों का समूह
पंचतंत्र= पाँच तंत्रों का समाहार
त्रिफला= तीन फलों का समूह
दोपहर= दो पहरों का समाहार
सप्ताह= सात दिनों का समूह
चौराहा= चार राहों का समूह
तिरंगा= तीन रंगों का समूह
चौमासा= चार मासों का समूह
द्वंद समास- इस समास में दोनों पद ही प्रधान होते हैं। और यह पद कभी-कभी एक दूसरे के विलोम भी हो जाते हैं।
उदाहरण के लिए:-
अमीर -गरीब= अमीर और गरीब
अन्न-जल= अन्न और जल
जलवायु= जल और वायु
नर-नारी= नर और नारी
गुण -दोष= गुण और दोष
देश विदेश= देश और विदेश
राधा-कृष्ण= राधा और कृष्ण
पाप-पुण्य= पाप और पुण्य
अपना-पराया= अपना और पराया
बहुव्रीहि समास- इस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता है ।जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह दूसरा पद प्रधान होता है। इसलिए वह बहुव्रीहि समास कहलाता है
उदाहरण के लिए:-
चक्रधर= चक्र को धारण करने वाला
त्रिलोचन= तीन आंखों वाला
चतुर्भुज= चार है भुजाएँ जिसकी
त्रिनेत्र= तीन नेत्र हैं जिसके
वीणापाणि= वीणा है जिसके हाथ में
दुरात्मा= बुरी आत्मा वाला
मृत्युंजय= मृत्यु को जीतने वाला
घनश्याम= घन के समान है जो
निशाचर= निशा में विचरण करने वाला
गिरिधर= गिरी को धारण करने वाला विषधर= विश को धारण करने वाला
अंतिमविचार
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