सट्टा किंग भगवान कौन है, जानिए कहां है, यह

 सट्टा बजारी का खेल धीरे धीरे बढ़ता ही चला जा रहा है। जबसे लोगों के समाने सट्टेबाजी की साइट आई है तब से ऑनलाइन सट्टा लगाना बहुत आसान हो गया हैं। सट्टा मटका का इतिहास तो काफी पुराना ही है। इंडियन सट्टा मटका भी लोकप्रिय था, और लोकप्रिय बनता जा रहा है। सट्टे का इतिहास काफी पुराना माना जाता है क्योंकि महाभारत के समय में भी सट्टा खेला गया था। सट्टा इंडिया एक जुआ है, इसमें आप जीत सकते है तो हार भी सकते है। 

सट्टे में यह जरूरी नहीं होता कि सिर्फ जीत आपकी ही हो। सट्टेबाजी का खेल इतना बड़ा है कि इस खेल से जुड़ा एक मंदिर भी हैं। जहां लोग जाकर सट्टे को लेकर खेल पूजा करते नजर आते है। क्या आप जानते है कि सट्टा भगवान भी है। अगर नही जानते है,तो चलिए आपको बताते हैं।

सट्टे का खेल धीरे धीरे बड़ा होता जा रहा, रतलाम दुनियाभर का सबसे बड़े सट्टा किंग है। यहां बड़े से बड़ा सट्टेबाज आकर यहां से झुककर ही आता है, सजदा करता है, और उनका हिस्सा देकर भी जाता है। मजाल क्या है, कि कोई इनके हिस्से की बेइमानी कर ले। बिना कुछ कहे पूरी इमानदारी के साथ इस सट्टा किंग का हिस्सा सट्टेबाज यहां जरूर पहुंचाते जाते हैं। दिल्ली-मुंबई के सट्टा किंग और माफिया भी यहां पूजा  करने जाते है।

बता दें कि मध्यप्रदेश और राजस्थान की एक सीमा पर राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ जिले की भांडेर तहसील में एक ऐसे भगवान का मंदिर स्थापित  है,  जिनको पूरे देश-दुनिया के सट्टा बाजार का किंग माना जाता है। चाहे वह छोटा सट्टेबाज हो या बड़ा सट्टेबाज, हर कोई इनके दरबार पर आकर सिर झुकाकर जाता है। ऐसी मान्यता है, यदि कोई इनके दर्शन कर ले और दर्शन के बाद सट्टा लगाए तो उसकी जीत पक्की हो जाती है।  रतलाम मंदसौर  और उसके आसपास के सभी जिलों  में सट्टा बाजार में दखल करने वाले लोग इनके दरबार में पहुंचकर सिर जरूरी झुकाते हैं।

हम बात कर रहे हैं, नीमच से करीब 65 किलोमीटर दूर राजस्थान के भगवान सांवरिया सेठ जी की तो यह भगवान श्रीकृष्ण का रूप माने जाने वाले सांवरिया जी के बारे में ऐसी मान्यता है, कि कई लोग भगवान को अपने सट्टे में हिस्सेदार बनाकर बाजी खेलते हैं। वही सट्टेबाज इनके दरबार में पहुंचकर मन्नत मांगते हैं कि हे भगवान यदि सट्टा में जीत मिली तो मैं आपको हिस्सा दूंगा कहकर अपनी मन्नत मांगता है। ऐसा करने वालों की संख्या बहुत बड़ी है। लोग धन संपदा, विपत्ति से छुटकारा पाने के साथ ही सट्टा में जीत की भी मन्नत मांगते नजर आते  हैं। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ मान्यता मानी है।बल्कि सट्टा खेलने वाले और सट्टे में हिस्सा देने की मन्नत मांगने वाले लोग पूरी ईमानदारी के साथ भगवान का हिस्सा चढ़ाने आते हैं। वही मंदिर के ट्रस्टी बताते हैं कि बड़ी संख्या में लोग पैसों से भरी पोटली यहां छोड़ कर चले जाते हैं।

सट्टा किंग ऐसा माना जाता है, कि ये यहां पर जो पोटलिया हैं ,वो वही पोटलिया है, जो सट्टा बाजार में जीतने वाले लोग भगवान को उनका हिस्सा चढ़ाने के लिए आते हैं। बड़े से बड़ा सट्टेबाज भगवान को उस सट्टे में हिस्सेदारी देता  है। भगवान का हिस्सा कोई 10 फीसदी तो कोई दो फीसदी और कई पांच फीसदी पहुंचाता है। करोड़ों का सट्टा बाजार का एक बड़ा सा हिस्सा इस मंदिर में चढ़ाया जाता है। एक बड़े हिस्से में फैले इस मंदिर में हजारों की संख्या में लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं। इनमें बड़ी संख्या सट्टेबाजों की होती है।

सट्टा से इस मंदिर में लगातार 10 साल से निर्माण चल रहा है, हर महीने दो से ढाई करोड़ रुपए का चढ़ावा इस मंदिर को मिलता है इसमें सोने चांदी जवाहरात से लेकर रुपए भी शामिल होते हैं। बड़ी संख्या में लोग पोटलियां लेकर यहां पहुंचते हैं और गुप्तदान के रूप में छोड़ जाते हैं। यह सट्टे के भगवान कृष्ण जी ही है, जिन्हे लोग सट्टे में पार्टनर बनाते नजर आते है। ऐसा बोला जाता है कि इस मंदिर के दर्शन के बाद एक सट्टेबाज कभी सट्टा नही हारता है। सट्टेबाज़ों का कहना है कि मंदिर में पूजा करके पैसा सट्टे पर लगाया जाता है तो आप सट्टा जरूर जीत जाएंगे।

मंदिर से जुड़े पुजारियों का कहना है  कि नीमच रतलाम और मंदसौर में बड़ी संख्या में लोग सट्टे में पैसा लगाते रहते है। यहां तक कि महाराष्ट्र और राजस्थान और दिल्ली के सट्टा बाजारों से जुड़े लोग भी इस मंदिर में आस्था रखते हैं। उनकी ऐसी मान्यता है कि यदि इस मंदिर को इस मंदिर के भगवान को सट्टे में पार्टनर बनाकर सट्टा खेला जाए तो बड़ी जीत मिलती है। वही बता दें कि कई लोग सट्टा हारते भी  हैं, लेकिन उनकी आस्था नही डगमगाती है। वे फिर भगवान सांवरिया सेठ को साक्षी मानकर सट्टा लगाते रहते हैं। यहां हर साल ऐसे सट्टेबाजों की भीड़ दिन ब दिन बढ़ती जा रही है।

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