दोस्तों, हम आपसे बात करने वाले हैं हिंदी व्याकरण के तत्सम के बारे में यानि कि तत्सम किसे कहते हैं और इसके कितने प्रकार हैं। तत्सम शब्द किसे कहते है तथा उसकी परिभाषा का हिंदी व्याकरण में बहुत महत्त्व हैं। दोस्तों, भाषा समय के साथ–साथ बदलती रहती है। भाषा में नए नए शब्द जुड़ जाते हैं। और कुछ पुराने शब्द समय के साथ–साथ अप्रचलित भी हो जाते हैं। परंतु भाषा में बदलाव इतना धीरे–धीरे होता है कि पुराने शब्द पूर्ण रूप से समाप्त नहीं होते तथा उनमें काफी हद तक कुछ बदलाव हो जाता है लेकिन अर्थ उसका वही रहता है जो अर्थ उस शब्द का प्राचीन काल में था।
दोस्तों, तत्सम शब्द की परिभाषा को जानने से पहले कुछ जरूरी बातें अवश्य पढ़े। भारत देश में अनेकों प्रकार की भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं। लेकिन इन सभी भाषाओं का मूल लगभग एक ही भाषा यानि कि संस्कृत भाषा को माना जाता है। संस्कृत भाषा के कई शब्दों मैं कुछ परिवर्तन करके उसे अन्य भाषाओं जैसे कि हिंदी, बंगाली, मराठी और गुजराती आदि भाषाओं में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन कुछ शब्द ऐसे भी हैं जिन्हें संस्कृत भाषा से ज्यों का त्यों अन्य भाषा में इस्तेमाल किया जाता है। जैसे– मुख, ग्राम, दुग्ध आदि।
किसी भी अन्य भाषा में संस्कृत के शब्दों को ज्यों का त्यों इस्तेमाल लेखकों साहित्यकारों तथा कवियों द्वारा किया जाता है। यानि अपने लेख और कविता में सुंदरता लाने के लिए संस्कृत के शब्दों का स्तेमाल किया जाता है। इस वजह से वह शब्द उसी भाषा में घुलमिल जाते हैं।
कई बार उन शब्दों को पहचानना भी मुश्किल हो जाता है कि वह शब्द संस्कृत भाषा के हैं। इस लेख में आपको तत्सम की परिभाषा के साथ साथ तत्सम शब्दों को पहचानने के बारे में भी बताया जाएगा। पूरी जानकारी लेने के लिए इस लेख को पूरा अवश्य पढ़ें। तो दोस्तों आइए जानते हैं कि तत्सम शब्द किसे कहते हैं। यानि कि तत्सम शब्द का अर्थ क्या होता है।
तत्सम शब्द क्या है?
संस्कृत भाषा के दो शब्दों “तत्” तथा “सम्” से मिलकर बने शब्द को तत्सम कहते हैं। जहां पर तत् का अर्थ होता है “उसके” तथा सम् का अर्थ होता है “समान” यानि कि जिन शब्दों को संस्कृत भाषा से बिना किसी बदलाव के किसी अन्य भाषा में इस्तेमाल किया जाता है उन शब्दों को ही तत्सम शब्द कहते हैं। ऐसे शब्दों में ध्वनि परिवर्तन नहीं होता। ऐसी कई भाषाएं हैं जिसमें संस्कृत के ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है जिसमें कोई परिवर्तन ही नहीं किया गया हो जैसे– गुजराती पंजाबी, मराठी, मलयालम, हिंदी, तेलुगू, बांग्ला कन्नड़, सिंहल, कोंकणी आदि। ऐसी भाषाएं हैं जिनमें संस्कृत के कई शब्द बिना किसी परिवर्तन किए इस्तेमाल किए जाते हैं। उदाहरण के लिए – अग्नि, अमूल्य, चंद्र, अज्ञान, क्षेत्र, अंधकार, आम्र आदि
तत्सम शब्दों को कैसे पहचाना जा सकता है?
दोस्तों, भारत में बोली जाने वाली अनेकों भाषाओं में संस्कृत के कई शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन उन्हीं भाषा में संस्कृत के शब्दों को पहचानना थोड़ा मुश्किल भी होता हैं। या फिर उन संस्कृत के शब्दों को पहचानने के लिए आपको संस्कृत का ज्ञाता होना भी आवश्यक है। लेकिन नीचे आपको कुछ ऐसे तरीके बताए गए हैं जिसके माध्यम से आप किसी भी अन्य भाषा में संस्कृत के स्तेमाल किए गए शब्दों को आसानी से पहचान सकते हैं।
1. तत्सम शब्दों के अंत में “क्ष” वर्ण का इस्तेमाल होता है। जब किसी शब्द मैं अगर कोई बदलाव किया गया है। जब है कोई तद्भव शब्द है तो उसमें “ख” या “छ” वर्ण का इस्तेमाल होगा। जैसे– परिवर्तित शब्द– पंछी, जिसे संस्कृत भाषा में पक्षी कहा जाता है।
2. तत्सम शब्दों में ‘श‘ वर्ण का प्रयोग होता है। जबकि तत्सम शब्दों में यानि कि जब उसी शब्द को परिवर्तित करके लिखा जाता है तो उस शब्द में ‘स‘ का इस्तेमाल होता है जैसे– संस्कृत में दिपशलाका मैं परिवर्तन करने के बाद उसे दियासलाई कहा जाता है।
3. तत्सम शब्दों में ‘श्र‘ वर्ण का इस्तेमाल होता है जबकि उसमें परिवर्तन करने के बाद ‘स‘ वर्ण का इस्तेमाल होने लगता है। जैसे– संस्कृत में धन्नश्रेष्ठी मैं परिवर्तन आने के बाद उसे धन्नासेठी कहा जाता है।
4. तत्सम शब्दों में ‘ष‘ वर्ण का स्तेमाल होता है। जबकि शब्द में परिवर्तन होने के बाद ‘स‘ वर्ण का इस्तेमाल भी होता हैं जैसे– कृषक शब्द में परिवर्तन करने के बाद उस शब्द की जगह पर ‘किसान‘ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।
5. तत्सम शब्दों में ‘व‘ वर्ण का इस्तेमाल होता है जबकि उसी शब्द में परिवर्तन होने पर ‘ब‘ वर्ण का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे– वन को परिवर्तित करने के बाद बन कहा जाता है।
6. तत्सम शब्द मे र की मात्रा का इस्तेमाल होता है। जबकि उन शब्दों में परिवर्तन करने के बाद र की मात्रा का इस्तेमाल नहीं होता। जैसे– आम्र शब्द में परिवर्तन करने के बाद उसे आम कहा जाता है।
ऐसे कई शब्द है जिन्हें संस्कृत भाषा से ज्यों का त्यों ही अन्य भाषा में इस्तेमाल किया जाता है। नीचे आपको कुछ उदाहरण दिए गए हैं।
अ तथा आ से शुरू होने वाले शब्द
आम्र — आम, अग्नि — आग, अंधकार — अंधेरा, आलस्य — आलस, अश्रु — आंसू, अन्न — अनाज, अमावस्या — अमावस, अज्ञान — अजान, अस्थि — हड्डी।
उ तथा ई शुरू होने वाले शब्द।
उच्च — ऊंचा, उज्जवल — उजला, उपर्युक्त — उपरोक्त, इष्टिका —ईंट।
क से शुरू होने वाले शब्द
कर्म — काम, कपोत — कबूतर, कूप — कुआं, कीट — कीड़ा, कृषक — किसान, कटु — कड़वा, किरण — किरन।
ग से शुरू होने वाले शब्द।
गृह — घर, ग्रीष्म — गर्मी, गौ — गाय, गणना — गिनती, घृणा — घिन, ग्रहणी — घरनी।
च व छ से शुरू होने वाले शब्द
चंद्रिका — चांदनी, चित्रकार — चितेरा, छत्र — छतरी, छिद्र —छेद।
ज से शुरू होने वाले शब्द
ज्येष्ठ — जेठ, ज्योति — जोत, जन्म — जनम, जिह्व — जीभ।
ऐसे कई शब्द हैं। जिन्हें संस्कृत भाषा से बिना परिवर्तन किए हैं अन्य भाषाओं में इस्तेमाल किया जाता है।
निष्कर्ष:-
दोस्तों, उम्मीद है आपको हमारा यह लेख “तत्सम शब्द किसे कहते हैं“। पसंद आया होगा इस लेख में आपको तत्सम शब्द की परिभाषा को बहुत ही सरल भाषा में समझाया गया हैं। आपको हमारी यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें। यदि आप इस लेख से संबंधित कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं तो कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। और यदि आप इस लेख से संबंधित कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बता सकते हैं।